Tuesday, July 29, 2014

ज्वेलरी मेकिंग का प्रशिक्षण देने वाले -प्रमुख संस्थान-रत्न परीक्षण प्रयोगशाला: राजस्थान चेंबर भवन, द्वितीय तल, मिर्जा इस्माइल रोड, जयपुर-302003, वेबसाइट: www.gjepcindia.com


फैक्ट फाइल
प्रमुख संस्थान


Promotion of the Rosary माला का प्रचार

Promotion of the Rosary माला का प्रचार
सिक्खों की माला में दानों की जगहपर मुलायम रुईकी गांठे मात्र होती हैं ! पर यह टिकाऊ नहीं होती ! इसलिए वे कभी विशेष उत्सवोंपर लोहे की दानों की माला का व्यवहार भी करते देखे जाते हैं ! जैनियों के यहां गणितियाके अतिरिक्त कांचनीया माला का उपयोग भी किया होता हैं !
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हिन्दुओं के यहां वैजयन्ती की माला प्रसिद्धि हैं ! भगवान विष्णु प्रायः इसे ही धारण करते हैं --*वैजयंती च मालाम*(श्रीमद भागवत १०!२१!५),…उर वैजयन्तीमाल ! या बानिक मो मन बसो सदा बिहारीलाल !*इसके अतिरिक्त *वनमाला* और *जयमाला*का भी उल्लेख मिलता हैं -उर श्री वत्स रुचिर वनमाला ! * *पानि सरोज सोह जयमाला ! *कुछ लोगों के मत से ये तीनों ही एक हैं और कुछ के मत भिन्न ! जो हो, इस वैजयंतीमाला प्रायः पांच प्रकार की मणियों को गूँथा जाता हैं, जो पञ्च महाभूतों से उत्पन्न तथा पांचो तत्वों के प्रतीक माने जाते हैं ! 
यथा - भूतत्व से इंद्रनीलमणि अथवा नीलम, जलतत्व से मौक्तिक या मोती,अग्नितत्व का लाल या पद्मरागमणि, वायुतत्व का पुष्पराग और आकाश तत्व का वज्रमणि अथवा हीरा* इसी प्रकार एक पदिक हार भी होता हैं ! भगवान नाम का जप का सर्वश्रेष्ठ आधार *माला*मन जाता हैं ! सारे विश्व में इसका व्यापक प्रचार हैं ! इस माला की भारतीय (सनातनी) पद्धति पर *यज्ञानां जप यज्ञो अस्मि* शीर्षक लेख में कुछ प्रकाश डाला गया हैं !
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मुसलमानों के यहां *तसबीह* कहा जाता हैं ! तसबीह में ९९ गुरिया होते हैं ! उसमे अल्लाह का नाम जपते हैं ! 
Muslims are called here * are * rosary! There are 99 bead rosary! Let him reciting the name of Allah!
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जैनों की जपमाला में १११ दाने (मोती) होते हैं ! इनमें १०८ पर तो ये *णमो अर्हन्ताय* का जप करते हैं, शेष तीनपर *सम्यग्दर्शन ज्ञान चरित्रेभ्यों नमः* का जप करते हैं !
Jaina rosary of 111 grains (beads) are! Nmo Arhntay * 108 * chanting at them, they tend to Step * balance * chanting of Om Namah Samygdrshn knowledge Critrebyon do!
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(रा0 मा0 बाल0 ४७ / ७) ! इसी प्रकार, *सौपा-सीपी सूकरी गजमुक्ता मणिमाल ! इस पांचो को पोहिये, तब होबे जयमाल !* *वनमाल* की भी एक विधि हैं ! इसमें सीप, सर्पादि से उत्पन्न मुक्ता मणियों के पोहने की बात हैं !
(रोजेरीज मेन्शन्ड इन इंडियन लिटरेचर,ओरिएंटल कांग्रेश रिपोर्ट, १८८१,पृष्ठ ३)

The name of God, well done

The name of God, well done
जय आनंद,अमृत, अज, अव्यय ! आदि, अनादि, अतुल, अभिराम !
जय अशोक, अघहर, अखिलेश्वर ! योगी-मुनि-मानस-विश्राम !!
जय कलिमल-मर्दन, करुणामय ! कोसलपति, गन रूप निधान !
जय माधव, मधुसूदन, मोहन ! मुरलीधर,मृदु-हृदय, महान !
जय गोविन्द, गोपिकावल्लभ ! गोपति, गो-सेवक, गोपाल !!
जय गरुड़ध्वज, विष्णु चतर्भुज ! श्री लक्ष्मीपति, वक्ष-विशाल !
जय भय-दायक, भवसागर-तारक ! भक्त-भक्त श्रीमान !!
जय मुकुंद, मन्मथ-मन्मथ,मुर ! रिपु मंजुल-वपु, मंगलखान !
जय पुरषोत्तम,प्रकृति रमण प्रभु ! पावन-पावन परमानंद !!
जय शंकर, शिव, आशुतोष हर ! महादेव सब मंगल-भूप !
जय संहारक, रूद्र भयानक ! मुण्डमाल धरी तम-रूप !!
जय मृड, गंगाधर, गौरीपति ! गणपति-पिता,शर्व, रिपुकाम !
जय भुजंग-भूषण, शशिशेखर ! नीलकंठ,भव शोभाधाम !!
जय-काली,लक्ष्मी, सरस्वती ! राधा, सीता, श्री, ईशानि !
जय दुर्गा, तारा, परमेश्वरि ! विद्या, प्रज्ञा, परमेशानि !!
जय आदित्य, भुवनभास्कर ! घृणि,तमहर, पातकहर,द्युतिमान !
जय विघ्नेश, विघ्न-नाशक, गण-ईश ! सिद्धिदायक भगवान !!
जय प्रकाशमय, अग्नि,इंद्र,नर ! नारायण, पर, आत्माराम !
जय सर्वेश, सर्वगुण-निधि, विधि ! सर्वोतीत, सर्वमय श्याम !!
लीला-गुण-रस-तत्व-प्रकाशक ! प्रभु के मंगल-नाम अनंत !
जयति जयति जय नाम नित्य नव ! मधुर नित्य निर्गुण-गुणवंत !!

Monday, July 21, 2014

All of your grace, my work has been, Please Lord, do you live, that is my name

सब आपकी कृपा से, मेरा काम  हो रहा हैं !
करते हो प्रभु जी कृपा आप, मेरा नाम हो रहा हैं !!